मध्य प्रदेश

शोभा की सुपारी बन गया उमरियापान स्वास्थ्य केन्द्र भगवान भरोसे स्वास्थ्य सेवाएं

नहीं मिलती दवाईयां, रिफर करने का चलता है खेल
उमरियापान। उमरियापान सामुदायिक स्वास्थ्य में वर्तमान समय में किस तरह से अव्यवस्थाएं हावी है यह किसी से छुपा नहीं है लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं उच्च अधिकारियों से इससे कोई लेना-देना नहीं है। चर्चा यहां तक है कि स्वास्थ्य केन्द्र मात्र नाम का स्वास्थ्य केन्द्र बन कर रह गया है। क्योंकि जब भी कोई मरीज ईलाज करवाने अस्पताल जाता है तब वहां पर उपस्थित डॉक्टरों द्वारा दवाईयों की पर्ची थमाते हुये बाहर से दवाईयां लाने के लिये कह दिया जाता हैै। इस बीच सवाल यह भी उठता है कि जब शासन द्वारा दवाईयां निःशुल्क दी जाती है तो मरीजों से बाहर से दवाईयां लाने के लिये विवष क्यो किया जाता है इसके पीछे कमीशन का खेल तो नहीं चल रहा है?
नहीं किया पोस्टमार्टम, कर दिया रिफर
मिली जानकारी के अनुसार बीएमओ की नादरशाही के चलते पिछले दिनों ढीमरखेड़ा थाना अंतर्गत पिडरई गांव में एक व्यक्ति का शव मिला था जिसको पोस्टमार्टम के लिये उमरिया पान स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया लेकिन पोस्टमार्टम नहीं किया गया और नादरशाही की हद तो तब हो गई जब वहां पर उपस्थित चिकित्सकों द्वारा मृत व्यक्ति के परिजनों से यह कह दिया गया कि यहां पोस्टमार्टम नहीं होगा आप मेडिकल कॉलेज जबलपुर ले जाओ। वहीं स्थानीय सूत्रों के हवाले से यह भी जानकारी लगी है कि यह पहला मामला है जब पोस्टमार्टम के लिये रिफर किया गया है। लिहाजा यह मामला मीडिया में आने के कारण चर्चित हो गया, नहीं तो न जाने ऐसे कितने मरीजों को उमरियापान स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ डॉक्टरों एवं स्टॉफ द्वारा रिफर का झुनझुना पकड़ा दिया जाता होगा।
हर माह आवंटित होती है दवाईयां
वहीं जब उपरोक्त मामले में संबंधित अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हर माह दवाईयां का आवंटन जिला अस्पताल से किया जाता है लेकिन उमरियापान स्वास्थ्य केन्द्र में यह क्यों कह दिया जाता है कि दवाईयां नहीं है इस मामले में संबंधित बीएमओ से बात की जायेगी।
डिलेवरी के अधिकांश केस रिफर
सूत्रों ने बताया कि यहां पर जो भी महिलायें डिलेवरी के लिये आती है उनको यहां पर भर्ती तो कर लिया जाता है लेकिन थोड़ी देर बाद नर्सों द्वारा कहा दिया जाता है कि केस बिगड़ रहा है आप कटनी या जबलपुर ले जाओ। वहीं इनका कारनामा यही तक सीमित नहीं है बल्कि नर्सों द्वारा कटनी या जबलपुर के प्राईवेट अस्पतालों का नाम भी बताया जाता है जहां से इनको कमीशन मिलता है और पेशेंट के परिजनों से अच्छा ईलाज देने का हवाला देकर जहां से नर्सों को कमीशन मिलता है उस अस्पताल में भर्ती करवा दिया जाता है।
अंगद की तरह पैर जमाकर बैठा मनोज पसारे
उमरियापान स्वास्थ्य केन्द्र में स्टोर कीपर के पद पर पदस्थ मनोज पसारे अपने मूल पद की जगह व्यापारी बन गया है और उसके द्वारा एम्बुलेंस का संचालन करवाया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि दवाईयां वितरण करने का कार्य भी मनोज पसारे के पास ही लिहाजा इसके द्वारा ही खेल कर दिया जाता है और मरीजों से कह दिया जाता है कि वर्तमान में दवाईयां नहीं बाजार से ले आओं। चूंकि शासन स्तर पर बहुत सी दवाईयां निःशुल्क मिलती है इसलिये जब उक्त महोदय द्वारा ऐसे शब्द मरीजों से बोले जाते है तब ये बाते पचती नहीं है कि सरकारी अस्पताल में भी दवाईयां दुकान से खरीदनी पड़ेगी। वहीं जानकारी यह भी मिली है कि स्टोर कीपर के पद पर पदस्थ मनोज पसारे उमरियापान स्वास्थ्य केन्द्र में लगभग 10 से 12 वर्षो से पदस्थ है इसलिये इसकी सैंटिग और तगड़ी हो गई और मनोज पसारे स्वास्थ्य केन्द्र में कम अपने बिजनेस में ज्यादा ध्यान देता है । लिहाजा उपरोक्त पूरे मामले में सीएमएचओ कटनी से अवगत कराया गया है उनके द्वारा आष्वासन दिया गया है कि जल्द ही इस मामले में जांच करवाई जायेगी।

स्टोर कीपर मै पदस्थ करीब 10 से 12 वर्ष हो गये मानोज पसारे

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