साहब! शहर को तो साफ कर दिया अब गांव को भी साफ करवा दो
जगह-जगह गंदगी से परेशान ग्रामीण, सफाई के लिए पंचायतों में फंड नहीं
सिलवानी। सरकार विकास की बात करती है तो उसमें शहर ही नहीं गांव भी होते है। जब गांव की उन्नति होगी तो शहर आगे बढ़ंगे शहरी क्षेत्रों के विकास एवं वहां की स्वच्छता के लिए जो सरकार करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन गांव की सफाई व्यवस्था तो आज भी दशकों पहले जैसी ही दिखती है। क्या गांव की पहचान पहले की तरह गंदगी अव्यवस्था कीचड़ जैसी ही रहेगी। कभी इनके बारे में भी सोच लेंगे तो गांवों की तस्वीर भी बदल जाएगी। भले ही गांवों में पहले ही अपेक्षा अब पक्की सड़क सीसी खरंजा स्कूल पानी आदि की व्यवस्था हो गई हो, लेकिन सफाई स्वच्छता के मामले में गांवों की वही स्थिति है जो दशकों पूर्व थी। आज भी जब हम गांव में जाएंगे तो सड़कों पर नालियों का गंदा पानी कचरे के बडे़-बड़े ढेर दिखार्द देंगे। जिनसे आमजन का जीवन नरकीय जैसा रहता है।
न राशि न ठोस तैयारी
हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण हुआ है, जिसमें जो शहर सबसे ज्यादा स्वच्छ हुआ है उसे राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है, लेकिन इनके पास साफ-सफाई के लिए लाखों करोड़ों की राशि आती है कचरे का निपटान कहा करना है। रोजाना नियमित सफाई होती है जबकि इसके विपरीत गांव में ग्राम पंचायत द्वारा रोजाना गांव की सफाई नहीं कराई जाती। ऐसे में व्यवस्था को लेकर कुछ पंचायतों में हमने बात की तो पता चला वहां सफाई के लिए अलग से कोई बजट नहीं होता है। सफाईकर्मी रखते है तो उसकी भी राशि नहीं मिलती। खुद ग्राम पंचायत में बैठे सरपंच, सचिव सहित उससे जुडे़ अधिकारियों की रूचि हो तो फिर रोजाना साफ-सफाई होना आम बात है, लेकिन पंचायतों में बैठे जिम्मेदार भी इस काम में रूचि नहीं लेते।
स्वच्छ भारत मिशन भी हवा में, नहीं बता पाए महत्व
ग्राम पंचायत से लेकर जनपद पंचायत सहित स्वच्छ भारत मिशन से जुडे़ संस्थान भी ग्रामीण लोगों को स्वच्छता के बारे में नहीं समझा सके। स्वच्छ भारत मिशन की बात करें तो उनका काम ही यह है कि किस तरह से गांवों में गंदगी अव्यवस्था खत्म हो, लेकिन सफाई तो दूर की बात बीते पांच वर्ष में शत प्रतिशत शौचालय भी नहीं बना सके। यही कारण है कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के सुस्त रवैये से गांवों की जनता स्वच्छता के लिए प्रेरित नहीं हो पाई है।
अब चुनाव सामने, होंगे बडे़-बड़े वादे
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीखों का एलान होना अभी बाकी है, ऐसे में अभी से गांवों में चुनाव की हलचल शुरू हो गई। सरपंच बनने के लिए उम्मीदवार गांव की जनता से विकास के कई वादे करेंगे, लेकिन क्या यह वादे हकीकत में पूरे हो जाते है। अगर ऐसा होता तो आज गांव की तस्वीर जरा हट कर होती साफ-सफाई नाली निर्माण जैसी मूलभूत सुविधा जनता को मिल जाती।