जिद्दी, घमंडी, हठधर्मी ज़ुबान पर कपूर रखकर जला देना चाहिए…
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एमएसपी पर कानून बनाने की मांग करते हुए कहा ”सरकार अपना दिमाग ठीक कर ले, नहीं तो 26 जनवरी दूर नहीं है और 4 लाख ट्रैक्टर तैयार हैं।”
दो दशक पहले जम्मू कश्मीर में आतंकवादी, हमारे स्वतंत्रता दिवस को विध्वंस दिवस में बदलने की धमकी देते थे। वैसी ही धमकी ज़िद्दी,घमंडी, हठधर्मी किसान नेता राकेश टिकैत ने गणतंत्र दिवस पर दी है।
पिछले साल 26 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हुआ और एक साल बाद फिर एक चमड़े की ज़ुबान यदि राष्ट्र के स्वाभिमान को चुनौती दे तो सरकार को ऐसी चुनौती देने वाली जुबान पर कपूर रखकर जला देना चाहिए। चुनौती मिलने पर शांति पाठ करना कायरता है, वीरों का आचरण नहीं ।
दरअसल हमारा गणतंत्र, भीड़ तंत्र बनता जा रहा है। अब किसान संगठन और उसके नेता तीन कृषि कानून वापस होने के बाद भी अपनी राजनैतिक इच्छा पूरी करने के लिए किसानों की भीड़ का दुरुपयोग कर रहा हैं। क्योंकि भीड़ बुद्धि से नहीं उन्माद के रिमोट से चलती है। भीड़ का अपराध किसी व्यक्ति का अपराध नहीं होता। नेताओं के चेहरे निष्कलंक भी रहते हैं और कलंकित काम भी कर लेते हैं। ये ही हुआ था 26 जनवरी 20 को। किसान आंदोलन के नाम पर किसानों की भीड़ को किसान नेताओं ने रिमोट से संचालित किया और कलंकित काम भी किया। परिणाम लाल किले तक भीड़ तंत्र ने उत्पात मचाया। लेकिन टिकैत की आंखों के आंसुओं से दिल्ली में सूखी यमुना में बाढ़ आ गई थी।
भारी उफान और तूफान के एक साल बाद सरकार झुकी। तीनों कृषि कानून निरस्त कर दिए। लेकिन किसानों के धोती कुर्ता एक साल बाद भी उसी ट्रेक्टर पर सूख रहे हैं, जहां एक साल पहले सूख रहे थे। सरकार ने किसानों के तीन कपड़े प्रेस कर सुखा दिए लेकिन अब किसान नेता नाड़ा ( एम एस पी लागू होने ) सूखने तक आंदोलन जारी रहने की धमकी दे रहे हैं । जो अनुचित है।
सरकार में बैठे सत्ता पक्ष और सरकार बनाने के लिए विपक्ष राष्ट्र के विरुद्ध षड्यंत्र कर सकते हैं, लेकिन देश का नागरिक अब ऐसे षड्यंत्र स्वीकार नहीं करेगा।
अहंकार, स्वार्थ और अपराध के तांडव के नाम पर किसान आंदोलन अब अस्वीकार्य है।
यदि किसान नेता यह सोच रहे हैं कि किसान आंदोलन हज़ारों मौतों तथा अरबों रुपए की संपत्ति को नष्ट होने के बाद सफल हो जाएगा तो यह किसान नेताओं की भयानक और आत्मघाती सोच है। किसान नेताओं को अनुचित अभिमान हो गया है कि वह जब चाहें दिल्ली में गण को बंधक बना कर तंत्र से अपनी हठधर्मिता पूर्ण मांगे मंजूर कराकर गणतंत्र उत्सव को बंधक बना सकते हैं। अब समय आ गया है कि किसान आंदोलन समाप्त हो। कहते हैं जो ठग लेता है वह निश्चय ही बुद्धिमान होता है और जो ठगा जाता है वह मूर्ख कहलाता है। इतिहास में यह आंदोलन बुद्धिमानों द्वारा मूर्ख बनाने की कथा के साथ समाप्त होगा।
लेखक- हरीश मिश्र, एंटी हॉर्स ट्रेडिंग फ्रंट, राष्ट्रीय संयोजक
संपादक- दैनिक दिव्य घोष, मासिक मूक माटी