मध्य प्रदेश

तहसील कार्यालय में लापरवाही का आलम सूचना पटल पर अब भी सुषोभित हैं पूर्व अधिकारी के नाम

तबादलों को हुए दो महीने, फिर भी नहीं बदले गए नाम, नागरिकों में भ्रम की स्थिति

सिलवानी। तहसील कार्यालय में अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। तहसील कार्यालय के सूचना पटल पर उन अधिकारियों के नाम अब भी अंकित हैं, जिनका तबादला दो महीने पहले ही हो चुका है। बावजूद इसके नए पदस्थ अधिकारियों के नाम अभी तक नहीं जोड़े गए हैं, जिससे नागरिकों में न केवल भ्रम की स्थिति बनी हुई है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही भी उजागर हो रही है।
नगर में पूर्व में पदस्थ एसडीएम प्रकाश चंद शाक्या का तबादला लगभग दो माह पूर्व हो चुका है। उनके स्थान पर हर्षल चौधरी ने अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) के रूप में कार्यभार संभाला है, लेकिन हैरानी की बात है कि सूचना पटल पर अब भी प्रकाश चंद शाक्या का नाम ही दर्ज है। इसी तरह तहसीलदार भरत सिंह माण्डले का भी करीब दो माह पहले तबादला हो गया था, जिनकी जगह सुधीर शुक्ला ने ली है। बावजूद इसके सूचना पटल पर अब भी भरत सिंह माण्डले का नाम ही प्रदर्शित हो रहा है।
इस प्रकार की लापरवाही न केवल प्रशासनिक अनुशासन की कमी को दर्शाती है, बल्कि आम नागरिकों के लिए असमंजस की स्थिति भी उत्पन्न कर रही है। कई बार कार्यालय आने वाले नागरिक यह नहीं जान पाते कि वर्तमान अधिकारी कौन हैं और उनसे संपर्क कैसे करें क्योंकि सूचना पटल पर उनके नाम व मोबाइल नंबर भी अंकित नहीं किए गए हैं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि सूचना पटल को समय-समय पर अपडेट नहीं किया जाएगा, तो इससे न केवल प्रशासन की छवि धूमिल होगी, बल्कि कामकाज में भी अव्यवस्था फैलेगी। हैरत की बात तो यह है कि जिला स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भी पूर्व में तहसील कार्यालय का निरीक्षण किया गया था, लेकिन उन्होंने भी इस गंभीर लापरवाही पर कोई ध्यान नहीं दिया।

अब देखना यह है कि संबंधित विभाग इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और सूचना पटल को अद्यतन कर आम नागरिकों को भ्रम की स्थिति से कब बाहर निकालता है।

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