इस बार डोली पर बैठकर आएंगी माँ जगत जननी

शारदीय नवरात्र: चंद्रघंटा व कुष्मांडा की पूजा होगी एक ही दिन, तिथियों के घट-बढ़ से इस बार आठ दिन के होंगे नवरात्र
सिलवानी। श्राद्ध पक्ष के खत्म होते ही शक्ति की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र 7 अक्टूबर से प्रारंभ होंगे, जो 14 अक्टूबर तक चलेगा। इस बार चतुर्थी तिथि क्षय होने से नवरात्र 9 दिन के बजाय 8 दिन के ही होंगे। इसके कारण चंद्रघंटा व कुष्मांडा माता की पूजा आराधना एक ही दिन होगी। महाअष्टमी 13 अक्टूबर को और महानवमी 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी। वहीं विजयदशमीं पर्व (दशहरा) 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
नगर खेरापति पंडित भूपेन्द्र षास्त्री के अनुसार आश्विन मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का प्रारंभ 6 अक्टूबर दोपहर 4.13 से प्रारंभ होकर दूसरे दिन दोपहर 1.46 तक रहेगा। नवरात्र के 8 में से 6 दिन रवि योग के शुभ संयोग बनेंगे। 8 अक्टूबर, 9, 10, 11, 12, 14 अक्टूबर को रवि योग का संयोग रहेगा। इस योग में गृह प्रवेश, वाहन, सगाई, आभूषण, प्रॉपर्टी खरीदना शुभ रहेगी। उदया तिथि 7 अक्टूबर गुरुवार के दिन होने से शारदीय नवरात्र गुरु वार से ही शुरू होंगे। तृतीया तिथि एवं चतुर्थी शनिवार के दिन होने के कारण चतुर्थी तिथि का क्षय हो गया है, इसलिए चंद्रघंटा व कुष्मांडा की पूजा आराधना एक ही दिन शनिवार को होगी। वहीं इस बार माता रानी डोली में बैठकर पधारेंगी मातारानी का डोली में बैठकर आना अच्छे संकेत नहीं माना जाता है।
क्या है डोली में सवार होकर आने का अर्थ
वैसे तो माता रानी की सवारी शेर है, लेकिन भागवत पुराण में उनकी सवारी के बारे में बताया गया है। जब भी माता शेर पर सवार होकर आती है तो अपने भक्तों का कल्याण करती हैं और भक्तों को माता का सौभाग्य प्राप्त होता है, वहीं जब माता डोली पर सवार होकर आती है तो कुछ परेशानियों का सामना लोगों को करना पड़ता
है। इस दौरान संक्रामक रोगों के फैलने, राजनीतिक रूप से भी माता का डोली पर आना शुभ नहीं माना जाता। हालांकि माता के डोली पर आने से स्त्री शक्ति को मजबूती मिलेगी।
कलश स्थापना का विशेष शुभ मुहूर्त
घटस्थापना, कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त 7 अक्टूबर दोपहर 11.52 से 12.38 तक श्रेष्ठ रहेगा।
नवरात्रि तिथियां
7 अक्टूबर नवरात्र प्रारंभ
13 अक्टूबर महाअष्टमी
14 अक्टूबर महानवमी
15 अक्टूबर विजय दशहरा
