Today Panchang आज का पंचांग बुधवार, 26 मार्च 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
जय श्री हरि
🧾 आज का पंचांग 🧾
बुधवार 26 मार्च 2025
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
☄️ दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।
बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2024 विक्रम संवत : 2081 पिंगल संवत्सर विक्रम : 1946 क्रोधी
🌐 संवत्सर नाम पिंगल
🔯 शक सम्वत : 1946 (पिंगल संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5125
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ आयन – उत्तरायण
☀️ ऋतु – सौर बसंत ऋतु
🌤️ मास – चैत्र मास
🌘 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📅 तिथि – बुधवार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि 01:43 AM तक उपरांत त्रयोदशी
✏️ तिथि स्वामी – द्वादशी के देवता हैं विष्णु। इस तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य सदा विजयी होकर समस्त लोक में पूज्य हो जाता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र धनिष्ठा 02:29 AM तक उपरांत शतभिषा
🪐 नक्षत्र स्वामी – धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी ग्रह मंगल हैं और देवता वसु हैं।
⚜️ योग – सिद्ध योग 12:25 PM तक, उसके बाद साध्य योग
⚡ प्रथम करण : कौलव – 02:49 पी एम तक
✨ द्वितीय करण : तैतिल – 01:42 ए एम, मार्च 27 तक गर
🔥 गुलिक काल : – बुधवार को शुभ गुलिक 11:10 से 12:35 बजे तक ।
⚜️ दिशाशूल – बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:35 से 2:00 तक । राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:57:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 06:03:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:44 ए एम से 05:31 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:08 ए एम से 06:18 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : कोई नहीं
✡️ विजय मुहूर्त : 02:30 पी एम से 03:19 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:34 पी एम से 06:58 पी एम
🌃 सायाह्न सन्ध्या : 06:36 पी एम से 07:46 पी एम
💧 *अमृत काल : 04:40 पी एम से 06:11 पी एम 🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:03 ए एम, मार्च 27 से 12:50 ए एम, मार्च 27 🚓 यात्रा शकुन-हरे फ़ल खाकर अथवा दूध पीकर यात्रा पर निकलें। 👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:। 💁🏻 आज का उपाय-किसी बटुक को धर्मशास्त्र भेंट करें। 🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-अपामार्ग के वृक्ष में जल चढ़ाएं। ⚛️ पर्व एवं त्यौहार – पापमोचिनी एकादशी व्रत (वैष्णव/निम्बार्क)/ बांग्लादेश स्वतंत्रता दिवस, मिर्गी बैंगनी दिवस, महादेवी वर्मा जन्म दिवस, अमेरिकन रेड क्रॉस दान दिवस, राष्ट्रीय शासन पेशेवर दिवस, मुख्यमंत्री राज कुमार रणबीर सिंह पुण्य तिथि, लेखक आचार्य कुबेर नाथ राय जन्म दिवस, आध्यात्मिक गुरु ठाकर सिंह जन्म दिवस, भारतीय लेखक आचार्य कुबेर नाथ राय जन्म दिवस, वर्ल्ड पर्पल डे (World Purple Day) ✍🏼 तिथि विशेष – द्वादशी तिथि को मसूर की दाल एवं मसूर से निर्मित कोई भी व्यंजन नहीं खाना न ही दान देना चाहिये। यह मसूर से बना सभी व्यंजन इस द्वादशी तिथि में त्याज्य बताया गया है। द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री हरि नारायण भगवान को बताया गया है। आज द्वादशी तिथि के दिन भगवान नारायण का श्रद्धा-भाव से पूजन करना चाहिये। साथ ही भगवान नारायण के नाम एवं स्तोत्रों जैसे विष्णुसहस्रनाम आदि के पाठ अवश्य करने चाहिए। नाम के पाठ एवं जप आदि करने से व्यक्ति के जीवन में धन, यश एवं प्रतिष्ठा की प्राप्ति सहज ही होने लगती है। 🏘️ *Vastu tips* 🏚️
वास्तु के अनुसार यह दिशा धन के देवता कुबेर है। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि कुबेर देव की कृपा आप पर बनी रहे तो इस दिशा से जुड़ी गलती आपको नहीं करनी चाहिए। इस दिशा में गंदगी फैलाना, टूटी-फूटी चीजें रखना, जूते-चप्पल रखना, कांटेदार पौधे रखना अशुभ माना जाता है। अगर आप भी घर की उत्तर दिशा में ये चीजें रखते हैं तो स्वाभाविक तौर पर हमेशा धन से जुड़ी परेशानियां आपके जीवन में आएंगी। इसलिए इस दिशा को आपको हमेशा साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए।
♻️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
थायराइड एक एंडोक्राइन ग्रंथि है जो ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोक्सिन (T4) दो प्रकार के हार्मोन बनाती है। इन हार्मोन का उत्पादन एवं स्त्राव थायराइड- स्टिमुलेटिंग हार्मोन ( टीएसएच) के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है यह हार्मोन शरीर की पाचन प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं। मुख्य रूप से थायराइड ग्रंथि के ज्यादा या कम हार्मोन बनाने से थायराइड की समस्याएं उत्पन्न होती है । यदि वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं इस बीमारी से ज्यादा ग्रसित होती हैं 0.5% पुरुषों की तुलना में 5% महिलाएं थायराइड की समस्या से ग्रसित है थायराइड ग्रंथि हार्मोन का कम या ज्यादा बनना शरीर की तमाम कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है।
💊 आरोग्य संजीवनी 🩸
आयुर्वेद में मुँह का स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए दिनचर्या में विभिन्न प्रक्रियाओं का उल्लेख किया है जैसे दंतधावन (दातुन), कवल और जिह्वानिर्लेखन (जीभ की सफाई)।
दातुन के लिए कई पौंधों का इस्तेमाल हमारे देश में होता आ रहा है। आज भी कई लोग दातुन का उपयोग करते है।
आयुर्वेद में दातुन के लिए कौन से और किस प्रकार के पौधों का इस्तेमाल करना चाहिए इस का विस्तार से वर्णन किया है।
दातुन कषाय (कसैला), तिक्त (कड़वा), और कटु (तीखा) रस का होना चाहिए। इन स्वादयुक्त पोंधों की 12 अंगुली लंबी और छोटी उंगली की परिधि इतनी मोटी टहनियों का दातुन के लिए उपयोग करे।
कृमिनाशक या जन्तुघ्न (एंटीसेप्टिक), व्रणरोपक (घावों को भरनेवाले) और रक्तशोधक गुणों से युक्त वट(बरगद), बबूल, करंज, नीम, अर्जुन, मेसवाक, असन, अर्क, करवीर, खदिर, करवीर, महुआ, अमरगा आदि पोंधों की साफ टहनियों का दातुन के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
गोत्र
गोत्र हमारी पहचान की जड़ है। यह बताता है कि हम किस ऋषि के वंशज हैं। जब भी हम अपना गोत्र बताते हैं, हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं। यह सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि हमारे वंश का गौरव है जो हमें हजारों साल पहले के ऋषि-मुनियों से जोड़ता है।
गोत्र की शुरुआत ऋषि-मुनियों के समय से हुई। उनके शिष्य अपने गुरु के नाम पर जाने जाते थे, और आगे चलकर यही उनकी वंश परंपरा बन गई। प्राचीन काल में आठ मुख्य ऋषि थे — भृगु, अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप, गौतम, भारद्वाज, जमदग्नि और विश्वामित्र। इन्हीं से बाकी गोत्र निकले हैं। आज हर ब्राह्मण परिवार का गोत्र इन्हीं में से किसी एक से जुड़ा होता है।
पूजा-पाठ या किसी भी धार्मिक कार्य में गोत्र का नाम लेना जरूरी होता है। जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है, तब अपना गोत्र बताकर यह जताया जाता है कि हम अपने पूर्वजों को नहीं भूले हैं। इससे हमारी परंपरा जिंदा रहती है और हमें यह एहसास होता है कि हम सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक पूरे वंश का हिस्सा हैं।
शादी में गोत्र का नियम सबसे अहम है। एक ही गोत्र में शादी करना मना है, क्योंकि इसे एक ही कुल का माना जाता है। यह नियम सिर्फ धार्मिक नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक भी है। अलग गोत्र में शादी करने से नई पीढ़ी शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनती है। हमारे पूर्वजों ने यह नियम सिर्फ परंपरा के लिए नहीं, बल्कि समाज को स्वस्थ रखने के लिए बनाया था।
प्रवर का नाम भी गोत्र से जुड़ा होता है। यह उन खास ऋषियों का नाम है जो हमारे गोत्र के मूल में हैं। जब भी यज्ञ या पूजा होती है, तब प्रवर के नाम से ही हमारे कुल के ऋषियों को याद किया जाता है। यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि हमारे पूर्वज कितने महान थे और आज हम जो कुछ भी हैं, उसमें उनकी भूमिका कितनी बड़ी है।
गोत्र सिर्फ एक धार्मिक पहचान नहीं है। यह हमें बताता है कि हमारी जड़ें कितनी गहरी हैं। यह एहसास कराता है कि हम अकेले नहीं हैं — हमारे साथ एक पूरी विरासत है। जब भी हम अपना गोत्र बताते हैं, हम अपने पूर्वजों का सम्मान कर रहे होते हैं और उनकी परंपरा को आगे बढ़ा रहे होते हैं। यही गोत्र की खूबसूरती है।
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⚜️ द्वादशी तिथि के दिन तुलसी नहीं तोड़ना चाहिये। आज द्वादशी तिथि के दिन भगवान नारायण का पूजन और जप आदि करने से मनुष्य का कोई भी बिगड़ा काम भी बन जाता है। यह द्वादशी तिथि यशोबली अर्थात यश एवं प्रतिष्ठा प्रदान करने वाली तिथि मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि सर्वसिद्धिकारी अर्थात अनेकों प्रकार के सिद्धियों को देनेवाली तिथि भी मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ तथा कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है।।