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गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार को सूचना देना, पुलिस अधिकारी किस कानून के अंतर्गत बाध्य हैं होता है जानिए/ASK CRPC…

वैसे तो भारतीय संविधान में गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी का कारण जानने एवं 24 घंटे के अंदर न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास ले जाने का अधिकार है एवं यह उनका मौलिक अधिकार भी होता है। अगर कोई इन अधिकारों का हनन होता है तो गिरफ्तार व्यक्ति डारेक्ट अनुच्छेद 32 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है या संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत हाईकोर्ट में जा सकता है। लेकिन दण्ड प्रक्रिया संहिता अधिनियम वर्ष 2005 में सीआरपीसी में धारा 50 A जोड़ी गई यह धारा डी. के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य 1997 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश को प्रभावी करता है। इस धारा में गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार को सूचना देना पुलिस के लिए बाध्य करता है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 50 (क) की परिभाषा:-
1. अगर कोई व्यक्ति को पुलिस अधिकारी गिरफ्तार करके थाने में लाता है तब गिरफ्तार व्यक्ति को अधिकार होता है कि वह अपने परिवार या किसी भी दोस्त,नातेदार को स्वयं इसकी सूचना दे या पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है कि वह गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार या दोस्त, नातेदार को सूचना दे उसे गिरफ्तार किया गया है एवं कारण भी बताए।

  1. पुलिस अधिकारी गिरफ्तार व्यक्ति को उसके कौन से अधिकार है उसको बताएगा।
    3. पुलिस अधिकारी ने गिरफ्तार व्यक्ति के कौन से नातेदार या परिवार के सदस्य को सूचना दी है उसे अपनी डायरी में नोट करेगा।
    4. गिरफ्तार व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाए तब मजिस्ट्रेट पुलिस अधिकारी से अपेक्षा करता है कि उन्होंने 1, 2, एवं 3 के नियमों का अनुपालन किया होगा।
    { दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 50-क का पालन करने के लिए थाने का पुलिस अधिकारी बाध्य होता है।)

संकलन : बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

उपरोक्त लेख संकलनकर्ता के अपने निजी ज्ञान एवं विवेक पर प्रसारित किया गया है पाठक अपने उचित माध्य्म एवं विवेक का उपयोग करे। मृगांचल एक्सप्रेस लेख से सम्बधिक किसी भी प्रकार के कानूनी वाद विवाद एवं आपत्ति के लिए उत्तरदायी नही होगा।

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