कोविड प्रोटोकॉल के तहत कक्षा 10 वीं और 12 वीं की कक्षाएं प्रारंभ
दो वर्षों से कोरोना महामारी के चलते स्कूलों में डले हुए थे ताले
सिलवानी। विगत दो वर्षों से कोरोना महामारी के कारण प्रदेश और देश की शासकीय एवं अशासकीय शैक्षणिक संस्थाओं को बंद किया गया था। बच्चों के भविष्य की चिंता करते हुए मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 10 वीं के आधार पर 12 वीं के और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर प्राथमिक, माध्यमिक और हाई स्कूल के परीक्षा परीणाम घोषित किये गये।
कुल मिलाकर बच्चों के शैक्षणिक सत्र को बचाने के लिये उनको प्रमोट किया गया। पर मूलभूत रूप से इस कठिन दौर के कारण बच्चों की शिक्षा पूर्णतः चरमरा गई। जहॉ एक ओर सरकार को जान है तो जहॉ है की सोच पर कार्य करना पड़ रहा है तो वहीं दूसरी और शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति से कमजोर होती व्यवस्था को भी पटरी पर लाना भी बड़ी चुनौती है। इसी को लेकर पहली कोरोना लहर के बाद हा.से. स्तर के स्कूल 18 दिसंबर से खोले गये थे। दो दूसरी लहर के बाद 25 जुलाई से सप्ताह में 02 दिन सोमवार और गुरूवार के लिये 12 वीं कक्षा एवं मंगलवार व शुक्रवार के दिन 11 वीं की कक्षाओं की समाधान कक्षाओं की अनुमति दी गई है। इसके बाद भी 10 प्रतिशत से अधिक बच्चे इन कक्षाओं में नहीं पहुंच रहे है।
स्कूल खोलना बड़ी चुनौती
केन्द्र और राज्य सरकारें कोरोना की तीसरी लहर को लेकर आशंकित है और इसी के चलते वह स्कूल खोलने का निर्णय नहीं ले पा रही है। शिक्षाविदों की माने तो विद्यालय खोलने के लिये शासन को चरणबद्ध तरीके से काम करना चाहिये। पहले दौर में 6-12 वीं तक के 50 प्रतिशत बच्चों को कोरोना गाइड लाइन का पालन करवाते हुए विद्यालय क्रमबद्ध तरीके से आने की अनुमति देनी चाहिये। सप्ताह में दो-दो दिन करके इनका संचालन होना चाहिये। लगातार विद्यालय नहीं आने के कारण बच्चे की पढ़ाई के प्रति अरूचि पैदा हुई है और शिक्षा से दूर होते जा रहे है। ऐसे में अभिभावक और शिक्षक मिलकर स्थानीय स्तर पर बच्चों के हित में निर्णय ले सकते है।