छुट्टा पशुओं से किसान त्रस्त, जिम्मेदार मस्त
सिलवानी। आवारा पशुओं से किसान आह भर रहे हैं। जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं। आवारा पशुओं से बचाव के लिए हालांकि गौशाला निर्माण की पहल की गई है, लेकिन पशुओं के झुंड खेतों में पहुंचकर लगी फसलों को नष्ट कर रहे हैं। किसान फसलों की रखवाली में दिन-रात जुटे रहते हैं। इसके बावजूद भी अपनी गाढ़ी कमाई की फसलों को नहीं बचा पा रहे हैं। तहसील में सैकड़ों आवारा पशु छुट्टा घूम रहे हैं। आवारा पशुओं के झुंड के झुंड घूमते नजर आ रहे हैं। किसान रामस्वरूप आदिवासी कहते हैं कि रात को खेतों में अवारा पशुओं के झुंड आ जाते हैं। फसलों को चरकर व पैरों से रौंदकर चले जाते हैं। सुरक्षा के लिए खेत के चारों ओर तारों की बाड़ लगा रखी है, लेकिन पशुओं के झुंड तारों के बाड़ को लांघकर खेतों में घुस जाते हैं। जब तक खेत में लोग पहुंचते हैं तब तक पशुओं के झुंड फसलों को नष्ट कर देते हैं। किसान केदार सिंह बताते हैं कि अगर इन आवारा पशुओं की समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया तो फसलों को किसान नहीं बचा पाएंगे। चंदन यादव बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में आवारा पशुओं का जमघट किसानों के लिए चुनौती है।