टूरिस्ट मेगा सर्किट में किया शामिल लेकिन नहीं हुआ करौंदी का विकास
सेंटर पॉइंट करौंदी में दूसरी लहर का भी नहीं हुआ असर
रिपोर्टर : प्रशांत मिश्रा/सतीश चौरसिया उमरिया पान।
उमरियापान । देश में कोरोना महामारी का डेढ़ साल पूरा हो गया और संक्रमितों की संख्या 3 करोड़ पार कर गई है। गांव भी इससे अछूते नहीं रहे। मौतें भी हुईं, लेकिन देश के दिल भौगोलिक केंद्र बिंदू करौंदी से सुखद खबर है। स्थानीयजन बताते है कि हम लोगों को दूसरी लहर में भी कोरोना नहीं छू पाया है। कटनी से 50 किलोमीटर दूर सात गांवों में फैली ग्राम पंचायत बम्हनी की की आबादी 2 हजार 500 है। अधिकतर की जिंदगी खेती और मजदूरी पर निर्भर है। केन्द्र बिन्दु चारों तरफ घने जंगल और पहाड़ से घिरे इस गांव में कोरोना न पहुंचने की एक बड़ी वजह भी यही है। हालांकि देश के सेंटर पॉइंट होने को बावजूद विकास की राह आज भी ये गांव देख रहा है।
भौगोलिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मध्यप्रदेश के कटनी जिले के ढीमरखेड़ा तहसील के मनोहर ग्राम पंचायत के करौंदी गांव के हाल बदहाल हैं। करीब 60 घरों वाले इस गांव को भारत का भौगोलिक केंद्र माना जाता है। भारत के आठ राज्यों से गुजरने वाली कर्क रेखा पर यह गांव स्थित है। इस गांव को इसी खासियत की वजह से देश का दिल भी कहते हैं। वैक्सीनेशन को लेकर जागरूकता का अभाव करौंदी गांव के निवासी बताते हैं कि एक दिन वैक्सीनेशन टीम आई थी, लेकिन किसी ने टीका नहीं लगवाया। कारण पूछने पर बोलते हैं कि टीके से डर लगता है, वैसे भी हमारे गांव में कोरोना नहीं है। जंगल के बीच बसे गांव में पहुंचने का संपर्क मार्ग चकाचक है। गांव में 8वीं तक स्कूल भी है। थोड़ी दूरी पर महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय व ध्यान केंद्र भी है पर इससे उनकी जिंदगी नहीं बदली। आज भी मजदूरी से ही दो जून की रोटी का गुजारा हो पाता है। बाहरी दुनिया से अधिक नाता नहीं संवाददाता सतीश चौरसिया ने जब गांव जाकर वस्तु स्थिति का पता लगाया तब बम्हनी सरपंच राजाराम काछी ने बताया। बोले. बाहरी दुनिया से हमारा अधिक नाता नहीं, इस कारण कोरोना भी नहीं आया। ये तो शहरी बीमारी है। हम पहाड़.जंगल वालों को छू भी नहीं सकता। हालांकि वे खुद वैक्सीन लगवा चुके हैं। बताया कि उनके ग्राम पंचायत में 300 से अधिक लोगों ने वैक्सीन लगवाई है। दूसरे को भी हम समझा रहे हैं। दशकों पहले दिखाया था आदर्श गांव का सपना ग्राम पंचायत में 1500 के लगभग वोटर हैं। तीन करोड़ की लागत से यहां पानी टंकी का प्रस्ताव पास हुआ था। चार महीने बाद भी निर्माण शुरू नहीं हो पाया। गर्मी में यहां पानी की समस्या से लोगों को दो.चार होना पड़ता है। गांव में एक.दो स्थानों पर सरकारी हैंडपंप लगा है। उसी से काम चलाना पड़ता है। करौंदी को आदर्श गांव बनाने का सपना दशकों पहले देखा गया लेकिन आज भी यह साधारण सा गांव है। विकास के नाम पर सेंटर पॉइंट पर कुछ सजावटी पत्थर जरूर दिखते हैं लेकिन वे भी समय के साथ उपेक्षित हैं या टूट रहे हैं। इसे टूरिस्ट मेगा सर्किट में भी शामिल किया गया था।
1956 में सेंटर पॉइंट की हुई थी खोज इंजीनियरिंग कॉलेज जबलपुर के संस्थापक प्राचार्य एसपी चक्रवर्ती की अगुवाई में 1956 में इस स्थान की खोज की गई और इसे भौगोलिक रूप से देश के केंद्र बिंदु के रूप में मान्यता मिली। दिसंबर 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर करौंदी पहुंचे और उसी साल यहां एक स्मारक बनना शुरू हुआ। यहां अशोक स्तम्भ और उसके चारों ओर शेर की आकृति बनी है। सेंटर पॉइंट पर एक पेड़ है। इतिहास बताने के लिए बोर्ड लगा है लेकिन इस पर अंकित अक्षर मिट चुके हैं। 15 दिसंबर 1987 को स्मारक तैयार हुआ। स्व.चंद्रशेखर फिर यहां आए और उन्होंने यहां अंतरराष्ट्रीय कृषि नगर बनाने की घोषणा की। यहां उन्होंने एक आश्रम भी बनाया लेकिन अब यह भी बदहाल है। विदेशों से भी वेदों का अध्ययन करने आते हैं बटुक अंतरराष्ट्रीय आदर्श कृषि नगर बनाने की योजना जमीन नहीं मिल पाने से अधूरी रह गई। इस जगह के महत्व को देखते हुए आध्यात्मिक गुरु महर्षि महेश योगी ने 29 नवंबर 1995 को यहां से कुछ दूरी पर महर्षि विश्वविद्यालय की स्थापना की। यहां पर विदेशों से भी वेदों का अध्ययन करने बटुक आते हैं।
महर्षि महेश योगी ने यहां पर 124 मंजिला इमारत बनाने की योजना बनाई थी। 2002 में इसकी आधार शिला भी रख दी गई थी लेकिन रक्षा मंत्रालय से अनुमति न मिलने और क्षेत्र के भूकंप संवेदी होने की वजह से यह योजना भी धरी रह गई। टूरिस्ट मेगा सर्किट में शामिल लेकिन कुछ नहीं बदला करौंदी गांव को टूरिस्ट मेगा सर्किट में शामिल कर इसका विकास करने 17 अगस्त 2013 को तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक और पूर्व मंत्री मोती कश्यप ने पर्यटन विकास निगम के अधिकारियों की मौजूदगी में विकास कार्यों की आधारशिला रखी थी। 8 साल में यहां करीब 66 लाख रुपए खर्च भी हुए लेकिन गांव में विकास के नाम पर कुछ नहीं दिखता। गांव के रामलाल कहते हैं कि विकास योजनाओं से पर्यटन बढऩे की उम्मीद थी उससे रोजगार मिलता, लेकिन कुछ भी नहीं हो पाया।
ऐसे पहुंच सकते है केन्द्र बिन्दु
जबलपुर से 70 किमी दूर कटनी रोड स्थित एनएच 7 स्लीमनाबाद जाने के बाद उमरियापान के लिए सड़क मुड़ी है। उमरियापान से 5 किलोमीटर ढीमरखेड़ा मार्ग पर चलने के बाद मोड़ है। जंगल में 2 किलोमीटर अंदर की चलने के बाद केंद्र बिंदु तक पहुंचा जा सकता है। लेकिन उक्त स्थान ऐतिहासिक होने के बाद आज भी उपेक्षा का शिकार है और ये हाल है कि उमरियापान से करौंदी गांव को मुडऩे वाली सड़क के दोनों ओर सीमेंट की छोटी सी दीवार बनाकर यह लिखा हुआ है, लेकिन रोड चलते यह दिखता ही नहीं। केन्द्र बिन्दु करौंदी को ऐसे जाने 7 गांवों को मिलाकर बना है। मनोहर गांव पंचायत 2500 है इस गांव की आबादी, 1500 हैं वोटर 1956 में हुई थी सेंटर पॉइंट की खोज 15 दिसम्बर 1987 को बनाया गया स्मारक । ये केंद्र बिंदू 23.30.48 अक्षांश और 80.19.53 देशांश पर स्थित है। समुद्र तल से 389.31 मीटर की ऊंचाई पर ये करौंदी गांव बसा है। चारों तरफ घ ने जंगल और विंध्य पर्वतमाला से घिरा है। यहां साल में औसत वर्षा 45.50 इंच होती है।